भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डोळ / कुमार अजय
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:42, 27 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अजय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बियां तौ
सळी भर
है वींरौ डोळ,
पण गडै है थारै
आ बडी बात है!