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माहवारी / शुन्तारो तानीकावा / अशोक पाण्डे

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1

उसके भीतर कोई तैयार करता है
एक उत्सव भोज
उसके भीतर कोई तराशता है
एक अनजाना बेटा
उसके भीतर कोई पड़ा है घायल

2

सृष्टि की रचना के समय
लापरवाही के कारण
घायल हो गई
ईश्वर की हथेली को
अब भी मुश्किल लगता है भुला पाना

3

इस विशुद्ध नियमितता के साथ सुसज्जित
अन्तिम संस्कार होते हैं मेरे भीतर
उत्सव के रंगों में
मनाया जाता है उनका शोक
वे जारी रहते हैं
बिना घायल हुए
और वे मर नहीं पाते
और वे शून्य में मिल पाते हैं मेरे बच्चे जो
ज़रूरत से ज़्यादा छोटे हैं

एक पका हुआ चाँद
गिर रहा है
उसे थामने वाला कोई नहीं
मैं इन्तज़ार कर रही हूँ एक ठण्डी जगह पर
उकड़ूँ बैठी मैं अकेली इन्तज़ार कर रही हूँ —
उसके लिए
जो बोएगा चाँद को
उसके लिए
जो मुझे वंचित कर देगा इस चढ़ते ज्वार में —
एक घाव के साथ, जो खो चुका
हर किसी की
स्मृति में,
मेरे भीतर और जो परे है
किसी भी उपचार की पहुँच से

4

.... जो चाहते हैं जीवित रहना
उन्हें बुलाता हुआ
किनारे की तरफ़ ज्वार बहता है भरपूर
उसके भीतर उसके भीतर एक समुन्दर है
पुकारता हुआ चाँद को और जैसे-जैसे चाँद
घूमता जाता है उसके भीतर है
एक अनन्त कैलेण्डर ....

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे