Last modified on 30 मार्च 2018, at 10:32

ग़म में भी मुस्कायेंगे / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:32, 30 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ग़म में भी मुस्कायेंगे
वक्त बदलते जायेंगे

आँखों में जगने वाले
ख़्वाब हमें छल जायेंगे

झूठी सच्ची बातें कह
कब तक दिल बहलायेंगे

बची हुई अपनी साँसें
यादों को दे जायेंगे

गीत जुही के फूलों से
धरती पर लिख जायेंगे

दूर गगन के बीच कहीं
हम आशियाँ बनायेंगे

बन के फूल बहारों में
दुनियाँ को महकायेंगे