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ग़म में भी मुस्कायेंगे / रंजना वर्मा
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ग़म में भी मुस्कायेंगे
वक्त बदलते जायेंगे
आँखों में जगने वाले
ख़्वाब हमें छल जायेंगे
झूठी सच्ची बातें कह
कब तक दिल बहलायेंगे
बची हुई अपनी साँसें
यादों को दे जायेंगे
गीत जुही के फूलों से
धरती पर लिख जायेंगे
दूर गगन के बीच कहीं
हम आशियाँ बनायेंगे
बन के फूल बहारों में
दुनियाँ को महकायेंगे