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तुम्हें हमने अपना बनाया न होता / रंजना वर्मा
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तुम्हें हमने अपना बनाया न होता
तो आँखों से आँसू बहाया न होता
समझते अगर रस्म हम जिंदगी की
मुहब्बत में जां को लुटाया न होता
न आग़ाज़ होता कभी दुश्मनी का
अगर उसने समझा पराया न होता
कभी मेरी तुमसे नज़र ही न मिलती
तुम्हें अपने नज़दीक पाया न होता
उड़ी हर तरफ हो वफ़ाओं की खुशबू
जफ़ा ने किसी को रुलाया न होता
परिन्दे उतरते छतों पर सभी के
अगर जाल कोई बिछाया न होता
न रातों में गिनते कभी यूँ सितारे
गले से तुम्हें ग़र लगाया न होता