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तुम्हारा प्यार में रुतबा बड़ा है / रंजना वर्मा

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तुम्हारे प्यार का रुतबा बड़ा है
कि जैसे ताज में मोती जड़ा है

हमेशा देश से उल्फ़त रहेगी
यहीं पर नाल हम सब का गड़ा है

न समझा दर्द की तासीर को जो
वही प्रतिदान पाने को अड़ा है

तलाशे जो बुराई दूसरों की
न कुछ सोचो जहन उसका सड़ा है

घिसटना ही रही किस्मत हमेशा
है खुशकिस्मत जो पैरों पर खड़ा है

उसी की जीत है गलहार बनती
हमेशा हौसले से जो लड़ा है

वतन पर हो चुके कितने निछावर
कहीं इस का न कोई आंकड़ा है