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जो गया है छोड़ कर उसको भुला सकते नहीं / रंजना वर्मा

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जो गया है छोड़कर उसको भुला सकते नहीं
बेवजह ही आज दुनियाँ को सता सकते नहीं

है पड़ी आदत चमन को खुशबुओं की आजकल
क्या करें मौसम बिना गुल को खिला सकते नहीं

ख़्वाब की ख्वाहिश सभी को नींद तो हो आँख में
जो न सोना चाहता उस को सुला सकते नहीं

पाँव में हैं बेड़ियाँ उड़ने की है हसरत मगर
जो न मुमकिन हो उसे मुमकिन बना सकते नहीं

थी कज़ा जब आ गयी करना पड़ा मंजूर ग़म
जाने वाले को सदा दे कर बुला सकते नहीं

रात है गहरा रही घिरने अँधेरा है लगा
बेबसी अपनी कि इक शम्मा जला सकते नहीं

हैं बड़ी बेचैनियाँ दिल मे समन्दर आग का
दहकते शोलों को हम कंचन बता सकते नहीं