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बसन्त आ रहल / राम सिंहासन सिंह

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रगन-रगन फुलवन बगियन में हे खिलल
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल
मंद-मंद पवन हे सुगन्ध से भरल
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।
लहंगा सतरंगा में तितलिन छमकल
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।

टेर-टेर-बेर-बेर कोयल उचरल
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।
चमक उठल धरती के कोना-कोना।
घसियन पर मोतियन के दाना-दाना।
गेहुँयन के बाल लगे सोना-सोना।
कयलक के जादू ई टोना-टोना।
सजनी किसनवन के पुलकल-हुलसल।
लाल-लाल ओठवा हे मुस्कल-मुस्कल।
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।

फुलवन से सोभ रहल हरियर हे डाल।
मतमातल भँवरल के अगरायल चाल।
नयकी उमिरिया के नयका हे साल।
घुर-फिर के आ जाहे एके सवाल।
पीर काहे पोर-पोर में हे चुभल।
चोख-चोख नैनन के तीर हे चलल।

केकरा हे सुध-बुध आऊ केकरा हे होस।
के-के हे चहकत आऊ के-के खामोस।
केकर जुड़ायल जी केकरा संतोस।
केकर लहरायल जवनियाँ के जोस।
धनिया के पाहुन ला जियरा मचलल।
पेठवऽ हे पाँती पहेली पगल।
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।

जाने न प्रीत-रीत ओकरे हे होस।
प्रेम-रिचईं चहकयल हे खूँसट खामोस।
नेहिया रस-चखलक न ओकरे संतोस।
बिरहिन लहरायल जवनियाँ के जोस।
सजनी सजनवाँ से जेकर मिलल।
मनवाँ सुमनवाँ के विकसल कमल।
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।

धरती कर लेलक अब सोलह सिंगार।
पेन्हलक हे जइसे फसलियन के हार।
झन-झन-झन-मन बीना के तार।
देखते ही देखते होयल अँखिया चार।
वन-उपवन, कुंज भवन में चहल-पहल।
नदिया जलधार प्यार जइसे बहल।
बसन्त आ रहल, बसन्त आ रहल।