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मिनख : अेक / दुष्यन्त जोशी
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पैली
मिनख री मौत सूं
बेसी हो मान
दीन-ईमान रा
घणांईं हा कदरदान
पण अबै
स्सौ' कीं धिक्कै
दीन-ईमान
हाथोहात बिक्कै
ठैलां माथै
चौड़ै धाड़ै बिकर्या है
गाँधीजी अर भगवान
कोई नीं बोलै
जाणै काटली जबान।