भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थार: 1 / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:16, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीठेश निर्मोही |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पल में पसरै
छिण में तण जावै
रमतोड़ौ
उणियारा बदळै
थूं।
लागै
मिनखां सूं
धरमेलौ
कर लीन्हौ
थूं।