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आज वीरान अपना घर देखा / दुष्यंत कुमार
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आज वीरान अपना घर देखा
तो कई बार झाँक कर देखा
पाँव टूटे हुए नज़र आये
एक ठहरा हुआ सफ़र देखा
होश में आ गए कई सपने
आज हमने वो खँडहर देखा
रास्ता काट कर गई बिल्ली
प्यार से रास्ता अगर देखा
नालियों में हयात देखी है
गालियों में बड़ा असर देखा
उस परिंदे को चोट आई तो
आपने एक-एक पर देखा
हम खड़े थे कि ये ज़मीं होगी
चल पड़ी तो इधर-उधर देखा.