भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाँदनी का सिंगार कौन करे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:03, 3 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=रौश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चाँदनी का सिंगार कौन करे
अब तेरा इंतज़ार कौन करे
तू नहीं साथ जब मेरे साथी
जिन्दगी को बहार कौन करे
मुफ़लिसी बन गयी किस्मत जिनकी
उन गरीबों से प्यार कौन करे
जिंदगी दर्द का समन्दर पर
मौत का इंतज़ार कौन करे
कर के वादे जो मुकर जाते हैं
उन का अब ऐतबार कौन करे
खामियों को है उजागर करती
रौशनी तार तार कौन करे
हर घड़ी बात बदल देता है
उम्र भर का क़रार कौन करे