सूर्य से जो लड़ा नहीं करता।
वक़्त उसको हरा नहीं करता।
सड़ ही जाता है हर वो फल आख़िर,
वक्त पर जो गिरा नहीं करता।
जा के विस्फोट कीजिए उस पर,
यूँ ही पर्वत हटा नहीं करता।
दिल जलाता है मौत आने तक,
इश्क़ में जो जला नहीं करता।
प्यार धरती का खींचता इसको,
यूँ ही आँसू बहा नहीं करता।
छोड़ कर पेड़ जो गया जल्दी,
फल कभी वो पका नहीं करता।