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बगदी गाड / बीना बेंजवाल

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पाड़ कि जिकुड़ी झुरै
बगणी रैंदी सदनि
सैणा जगौं की तरप
यों उंचा-निसा डांडों छोड़ी
वीर्याळा बाटा अटगणी रैंदी सरासर
अपणा घौड़या-दगड़्यों से मुख मोड़ी
जान्दी च वख
जख मिललु वीं सणी
छकण्या सुख
पर नि जाणदि वा
जौं डांडि-कांठ्यों से
पल्ला छुड़ाण चान्दी
वूंकि जड़ि-बोटळ्योंन हि
वींकु पाणी अमरित बण्द
जबकि जन्नि छोड़दि वा
यों पाड़ौं कि खुच्यलि
उन्नि हर्चि जंदि वींकि
वा छलबली हैंसि
सब्बुसे बच्यांदि छाळि बाच
अर खुशि छलकौंदि
दुधाळि धार
अर फेर
गुमसुम ह्वै बगणी रैंदी
जगा-बिजगा बिटि मेट्यां
अवसाद सणि धरी जिकुड़ी मा
सैंणी जगौं कु यु रौंफु
एक दिन
खुद वींकि जिकुड़ी झुरै
बणै द्यौलु वीं सणी कुयेड़ी
अर तब लौटण पड़लु वीं
यों हि डांडि-कांठ्यों मा
बरखा बणी
तब्बित् बोल्दन
‘जाला बल आंग्यों फांग्यों
औला जड़ै पर।’