भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुरसी / मोनिका गौड़

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:27, 8 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोनिका गौड़ |अनुवादक= |संग्रह=अं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घुप्प अंधारो,
घोर कळमस,
खिंड्योड़ो च्यारूंमेर
मिचमिची आंख्यां
उघड़ै ई नीं
टंटोळतां, फरोळतां
हथेळ्यां भर जावै
लोही री बास सूं
कुरस्यां रै
चिलकता पागां हेटै
ठोकरां में पागां
अेक धरम
अेक जात
अेक ईमान री म्यूजिकलचेयर रमता
घाणी रै बळद ज्यूं
ल्हासां रै पगौथिया माथै
कुरसी!