भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घाणी अर लोक / मोनिका गौड़
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:35, 8 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोनिका गौड़ |अनुवादक= |संग्रह=अं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तंतर री घाणी मांय
पीसीजतो लोक
सींचै है रगत सूं
कुरसी रै पागां नैं
जिणसूं कै
थिर रैवै कुरस्यां
दीवाण, तखत अर ताज
आस्वासणां रो नीरो चरतो
लोक रो बळध
घूम रैयो है
तरक्की रै कूड़ रै आसरै
आपरै रगत सूं रंग्यै
झंडै नैं सलामी देंवतो।