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रचि राखहुँ भोलानाथ / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ

कितना कासी ब्राह्मनवासी कितना कासी ब्राह्मन हो
कितना कासी सन्यासी
कितना कासी सन्यासी
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ

आधा कासी ब्राह्मनवासी आधा कासी ब्राहम्न हो
आधा कासी सन्यासी
आधा कासी सन्यासी
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ

काह करन को ब्राह्मनवासी काह करन को ब्राह्मन हो
कहा करन को सन्यासी
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ

वेद पढ़न को ब्राह्मनवासी वेद पढ़न को ब्राहम्न हो
यज्ञ करन को सन्यासी
तिरसुल पर कासी रचि राखौ
रचि राखहुँ भोलानाथ तिरसुल पर कासी रचि राखौ