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बही गयो जलधारा / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बही गयो
बही गयो जलधारा रे नदिया बही गयो जलधारा
भवसागर एक नदी बहत है जा में नाव न बेड़ा
साधु संत मिली पार उतर गए पापी धुने कपारा
रे नदिया बही गयो जलधारा
बही गयो जलधारा रे नदिया बही गयो जलधारा
जल बिच पुरईन जन्म लियो है जल में करे पसारा
ताके ऊपर नीर न अटके जल में करे पसारा
रे नदिया बही गयो जलधारा
बही गयो जलधारा रे नदिया बही गयो जलधारा