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हँसि पूछहिं राजा राम हनु / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हँसि पूछहिँ राजा राम हनु लंकागढ़ कैसे रावन के
लंकागढढ़ कैसे रावन के हो लंकागढ़ कैसे रावन के
हँसि पूछहिँ राजा राम हनु लंकागढ़ कैसे रावन के

काहे के गढ़ लंक बने हो काहे के गढ़ लंक न हो
काहे के लागै बजड़ केवाड़ लंकागढ़ कैसे रावन के
हँसि पूछहिँ राजा राम हनु लंकागढ़ कैसे रावन के

कै योजन गढ़ लंक बने हो कै योजन गढ़ लंक न हो
कै योजन चौफेर हनु लंकागढ़ कैसे रावन के
हँसि पूछहिँ राजा राम हनु लंकागढ़ कैसे रावन के

नौ योजन गढ़ लंक बने हो नौ योजन गढ़ लंक न हो
दस योजन चौफेर हनु लंकागढ़ कैसे रावन के
हँसि पूछहिँ राजा राम हनु लंकागढ़ कैसे रावन के