Last modified on 12 जुलाई 2008, at 01:29

म्हारे आलीजा री चंग / राजस्थानी

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:29, 12 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: म्हारे आलीजा री चंग, बाजै अलगौजा रे संग, <br> फागण आयो रे ! <br><br> रूंख-रूंख री न...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

म्हारे आलीजा री चंग, बाजै अलगौजा रे संग,
फागण आयो रे !

रूंख-रूंख री नूंवी कूपळा, गीत मिलण रा अब गावै।
बन-बागां म काळा भंवरा, कळी-कळी ने हरसावै।
गूंझै ढोलक ताल मृदंग, बाजे आलीजा री चंग।।
फागण आयो रे !

आज बणी हर नारी राधा, नर बणिया है आज किसन।
रंग प्रीत रो एडो बिखर्यो, गली-गली है बिंदराबन।
हिवडै-हिवडै उठे तरंग, बाजे आलीजा री चंग।।
फागण आयो रे !