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बचावें राम रमैया / अवनीश त्रिपाठी

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अपने पूरे रोब दाब से
चढ़ा करेला नीम
बचावें राम रमैया

टूट गई
खटिया की पाटी
बैठे,सोये किस पर,
अब उधार
की बात करे क्या
गिरवी छानी-छप्पर,
लेटे हैं टूटे मचान पर
चुप्पी और नसीम
बचावें राम रमैया

बंधक है
लाचार व्यवस्था
किससे व्यथा सुनाये,
हाल हस्तिनापुर
जैसा अब
दुर्योधन धमकाये
राजनीति की दशा हो गई
जैसे नीम-हक़ीम
बचावें राम रमैया

मंदिर-मस्जिद
चर्च हर जगह
आडम्बर-सम्मोहन,
माँग और
आपूर्ति धार्मिक
व्यापारों के बन्धन
टुकड़े-टुकड़े गये बिखेरे
कितने राम-रहीम
बचावें राम रमैया