भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चुप्पी ने / प्रेमशंकर शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:03, 12 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमशंकर शुक्ल |संग्रह=कुछ आकाश / प्रेमशंकर शुक्ल }} उ...)
उस दिन
आवाज़ ने नहीं
चुप्पी ने साथ दिया मेरा
बिगाड़ा चुप्पी ने ही
उस दिन
मेरे ईमान को।