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बचेगी न गंगा गौरइया बचेगी / आर्य हरीश कोशलपुरी

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बचेगी न गंगा गौरइया बचेगी
बचेगी न मोहन की गइया बचेगी

सुदेशी के जप से विदेशी के धन से
न पिंजरे की सोनल चिरइया बचेगी

किए जा रहे तुम तो जंगल सफाया
न छतनार छितुवन की छंइया बचेगी

मुहब्बत को घेरे में रक्खा गया है
मुहब्बत नही अब कन्हैया बचेगी

प्रबल आधुनिकता के तूफान में हैं
नही इस भंवर से ये नइया बचेगी

बचेगी न इज्ज़त कोई कुछ भी कर ले
बचेगी तो बस थू थू थैया बचेगी