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दौलत माल ख़जाना प्यारे / आर्य हरीश कोशलपुरी

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दौलत माल ख़जाना प्यारे
सब कुछ छोड़के जाना प्यारे

कुछ तो नेक कमाई कर लो
गाएं लोग तराना प्यारे

कोई ग़ैर न सब अपने हैं
बेज़ा ज़ुल्म न ढाना प्यारे

नाहक़ सोच बनाकर उलझे
कोई रंक न राना प्यारे

जब से बात, समझ आ जाए
सच का साथ निभाना प्यारे