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सेठानी घाट पर / प्रेमशंकर शुक्ल

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सेठानी घाट पर

आज नर्मदा से

मिलने आया

जुड़ा गई आँखें


निहारते नर्मदा का निर्मल जल

बह गया भीतर का कूड़ा-करकट

बहुत सम्बल मिला

नर्मदा के दरस-परस से