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आये नित्य बसन्त खिला मधुमास रहे / रंजना वर्मा

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आये नित्य बसन्त, खिला मधुमास रहे
नयनों में नित भरी, मिलन की प्यास रहे

उपवन में नित रहे, सजी यह हरियाली
सदा भ्रमर के हृदय, यही विश्वास रहे

रहे चलाती श्वांस, देह की गाड़ी को
जब तक जीवन चले, प्रवाहित साँस रहे

मिले न कोई कष्ट, किसी को भी मुझसे
जीवन मे प्रत्येक, समय अभ्यास रहे

यही कर रही विनय, सुने यदि जगदीश्वर
हृदय कमल में नित्य, उसी का वास रहे

हों संवेदनशील, भावनाएँ मेरी
मन जिह्वा पर नित्य, सनेह मिठास रहे

दो इतना वरदान, साँवरे यदुनन्दन
हृदयालय में सदा, मिलन की आस रहे