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साँवरे से प्रीति का बन्धन बंधेगा एक दिन / रंजना वर्मा
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साँवरे से प्रीति का बन्धन बंधेगा एक दिन
है यही विश्वास वो हमसे मिलेगा एक दिन
सोच लेने से किसे मंजिल मिली संसार में
यत्न करने पर तुझे रस्ता मिलेगा एक दिन
कीच है गन्दा न ये कह कर कभी दुत्कारना
देख लेना यहीं पर पंकज खिलेगा एक दिन
है अँधेरा बढ़ रहा यह देख घबराना नहीं
चीर देने को तिमिर दीपक जलेगा एक दिन
कट रहे हैं पेड़ पौधे भूमि बंजर हो रही
जाग जायें लोग फिर उपवन बनेगा एक दिन
पाँव घायल हैं मगर उत्साह कोई कम नहीं
आज है जो पंगु वह उठ कर चलेगा एक दिन
हर पड़ोसी को टटोलो देख लो अच्छी तरह
चूक यदि कोई हुई ख़ंजर चलेगा एक दिन