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देशवासी हैं सदा देते उसी को मान / रंजना वर्मा

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देशवासी है सदा देते उसी को मान
देश के हित के लिये जो हो गये कुर्बान

नैन सब के ही टिके हैं उस क्षितिज की ओर
झाँकता है ओर जिस नव सूर्य ले आह्वान

रोक देता है इशारे से समय का चक्र
कीर्ति रहती है उसी की विश्व में गतिमान

धूल चन्दन के सदृश चर्चित करे जो भाल
है वही मस्तक तिलकमय देश का अभिमान

पूछने वाले धनिक को हैं बहुत से लोग
अब गरीबों की दशा का लें जरा संज्ञान

धन किसी को दीजिये तो ढूंढ़ लें सत्पात्र
पात्रता जिस में न हो दीजे न उस को दान

कीजिये सब का भला जितनी रहे सामर्थ्य
वानरों का ज्ञान से होता नहीं कल्यान