भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिंदगी में मुस्कुराना सीख ले / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 12 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी में मुस्कुराना सीख ले
जंगलों में गुल खिलाना सीख ले
 
कर नहीं वादा असम्भव यदि लगे
जो किया वादा निभाना सीख ले
 
भागता ही नित मुसीबत से रहा
अब जरा आँखें मिलाना सीख ले

कष्ट में रोना बहुत आसान है
पीर में भी गुनगुनाना सीख ले

रोक दें प्रस्तर शिलाएँ रास्ता
मोड़ कर धारा बहाना सीख ले

प्राण दे देना बहुत आसान है
जिंदगी के गीत गाना सीख ले

रोक दे हो आ रहा तूफान तो
मौत से नजरें मिलाना सीख ले