भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिषहरी जी का जन्म / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:24, 24 मई 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

होरे प्रथम जनम लेले मैना बिषहरी माया।
होरे दोसर जनम भेल दितीला भवानी माया।
होरे तीसरी जनम जे भेल देवी बिषहरी।
होरे चौथा जनम जे भेल जया बिषहरी माया॥
होरे पांचम जनम जे भेल पदमा कुमारी माया।
होरे कमलके दहते माता झुमती खेलले हे माया॥
होरे बारह बरस माता खिड़ली पाताल हे माया॥
बिषहरी को बासुकी पाताल का दर्शन।
होरे बासुकी जे नाग हे माता देल दरशन हे।
होरे बोले ते लगली हे माता देल दरशन हे॥
होरे कहि देहो आवे हे बासुकी बाबा केर नाम हे।
होरे बोले ते लागल बासुकी बिषहरी से जवाबहे
होरे धरम के बापजे छिकों ईश्वर महादेव हे।
होरे धरम के माई जै छिकौ गौरा पारवती हे॥
होरे धरम के देह हे देवी झूमरी खेलेल हे।
होरे जटा से जनम जे भेल कमल के फूल हे॥
होरे फूल जे तोड़ते हे देवी भेल दरशन हे।
होरे एहिनिजे माता हे तोह गोदीमें अइली हे॥
होरे बारह बरस हो बाबा झूमरी खेलैली हे।