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विषहरी का रोदन / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे कमला दहए माता झूमरी खेलये कान्दे देवी मनसा हाय रे।
ओरे चन्दवाजितले हमें जे हारला कांदे देवी मनसा हाय रे॥
औरे गाढ़ घड़ी कौवेना खबर लये कांदले देवी मनसा हाय रे।
ओरे मनुष्य जीतल हमें हारला कांदले देवी मनसा हाय रे॥
ओरे देवी रे कान्दनसुनु अष्टनाग आइल करीलो प्रणाम कांदे देवी मनसा हाय रे॥
ओरे कोइनापन लाईला कांदे देवी मनसा हाय रे।
ओरे देवीकानन सुनो सीना गौए नाग आइल करिला प्रणाम कांदे देवी मनसा हाय रे।
ओरे कौन दुख पड़ले हार माता कह समुझाय हे कांदे देवी मनसा हाय रे॥
ओरे किये तो कहेला पूता कहलो ना जाए कांदे देवी मनसा हाय रे॥
ओरे मनुसा जीतल पुंता हमें जे हारल कादे मनसा हाय रे॥
आरे अतना सुनि अष्टनाग गौये चलली कादे देवी मनसा हाय रे॥
ओरे कोई पूता पान लेले कांदे मनसा हाय रे॥