भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौसमी कूकड़ा / मोहम्मद सद्दीक
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:52, 29 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दोलड़ी जीभ
जैरीली सांस
माथै में ग्यान रो गूमड़ो
पैरवां रै पोरां पर
ऊग्योड़ा भरूंटिया
आंख में अणत
काख में कुबाण
इसड़ै गुणाऊं
घड़ीज जड़ीज
मिनख री मांदगी रो
इलाज करणियां
आपां रै साथै रस्सै बस्सै।
कदै कदास आसै पासै
मौसम कूकड़ा बण
दिस रो बोध करावण खातर
कुरड़ी माथै खुरड़ा खोतरतां
मेलो कुचरतां
घणकरीक बार इणी भांत
जूण पूरी करतां करतां
टेम रो नेम भूल‘र बांग दे नाखै
सूंवीं सिंझ्या, आधी रात
पो फाटण री कुणसी बात।