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घमलै रा फूल / मोहम्मद सद्दीक

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ओ-घमलै रा फूल‘ फूल‘ तूं
मत कर इतरी भूल
आज नै आज सिंवर जै-रे
अधीरा धीरज धर जै-रे।।

मै आंधी रा खाय थपैड़ा
लूवा लाय तपी देही
भंवर‘ भतूळा फिरै भटकता
मान हाण ना तज देईं
तूं शीश रो सोदो कर जै-रे
तूं लिपळां स्यूं मत डर जै-रे।।

चार चौफैरी घणा रूंखड़ा
सुण‘कुण सार करै बांरी
पाखी पोख फळां लदियोड़ा
जगत बात करै बांरी
तूं फळ दै बात बिसर जै-रे
तूं काळी रात बिसर जै-रे।।

पल दो पल री जूण जेवड़ी
अण गिणती रा आंटा है
फूल फूल रै आसै पासै
छोटा मोटा कांटा है
तूं अमर रा आखर भण जै-रे
तूूं कांटां स्यूं ना डर जै-रे।।

बरगद हाळी छांव सरपणी
काची कूंपळ नै डसलै
इसै रूंखड़ां रो रूंगस नै
खेल खेल में तूूं लख लै
तूं आंरो साथ बिसर जै-रे
तूं बण बण लाय पसर जै-रे।।

मां धरती रा सुमल लाडला
जोगी जात जुगत कर लै
सांप सळीटा अजगर ढ़ीठा
पकड़ मूंड की बस कस लै
तूं बिसरा गुटका पी जै-रे
आ-काया आप रसी जै-रे
ओ घम लैरा फूल-फूल तूं
मतकर इतरी भूल
आज नै आज सिंवर जै-रे
अधीरा धीरज घर जै-रे।।