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वर उन्हें मिलता नहीं / राम लखारा ‘विपुल‘
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मील के पत्थर सफर में पढ़ लिए तो जान पाएं।
घर गए वो हारकर जो ठोकरों से डर गए थें।
ठान ले पौरुष अगर तो सागरों को पार कर ले,
और निश्चय हो प्रबल तो अंगुली पे शैल धर ले।
तैरते पत्थर की भाषा पढ़ चुके तो जान पाये,
कर गए वो नाम जग में जो किसी पे मर गए थें।
हर घड़ी चुभने-चुभाने की जिसे है चाह होती,
बस उसी के भाग्य में ही कंटकों की राह होती।
देख पाये सत्य जीवन का बगीचे में गये तो,
भर गए वो फूल फल से जो अहम से झर गए थें।
हर किसी के चित्त में पलती विजय की कामना है,
पूर्ण कर दे कामना जो नाम उसका साधना है।
तीर चिड़िया के नयन पर सध गया तो जान पाये,
वर उन्हें मिलता नहीं जो मांगने दर दर गए थें।