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पिता / रुस्तम
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इस रात
मैं अपने पिता को याद करता हूँ।
वह सुन्दर आदमी था,
वीरता से भरा हुआ।
शान्त और गुस्सैल,
वह तलवार का धनी था।
दुख को धीरज से सहन करना हमने उसी से सीखा था,
और सदा न्याय का पक्ष धरना।
अन्तत: दुख और अन्याय ने ही उसे खत्म किया :
वह मेरी माँ की मृत्यु को सह नहीं पाया,
और अपने समय के मामूलीपन को।