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चौथे घर का शनि / राहुल कुमार 'देवव्रत'

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शोर करती रहती हैं सरगोशियां
आठो पहर
निवर्तन की आस में उकडूं बैठा लम्हा
षण्ड हुआ जाता है

कहते हैं.....
रात में कोई ऐसा पहर जरूर आता है
विश्राम चाहता समय का सोत्कण्ठ पहिया
रुक जाता है
मरहम साथ लिए कोई देवदूत
लेप लगी तलहथी
फिराता चलता जाता है
और बेचैन से बेचैन रूहें
करार पा लेती हैं

सूरज डूबता नहीं

सुना था
पूरे पहर की रात
अमृत पीता सूरज
गर्भ से नाल जोड़े निकलता है ... निकलेगा

ढईया लगाए पड़ी हैं रातें
जाने कब से
शायद तेरे निकलने में अभी और देर लगेगी