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द्रुपद सुता-खण्ड-05 / रंजना वर्मा

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कौन सा विधान कब किसने बनाया कहें
 ज्ञानियों के ज्ञान की ये कैसी उपपत्ति है।
कौन से नियम ने पुरुष को दी प्रभु सत्ता
 किसने बताया-नारी नर की सम्पत्ति है।
अपने को हार जो चुका हो पण में प्रथम
 हारे पत्नी को मुझेइस में आपत्ति है।
बोलिये पितामह ! उपस्थिति में आपकी ही
 इस अबला पे आयी कैसी ये विपत्ति है।। 13।।

पूछती सभा से कुरु, जनो गुरु जनों से भी,
न्याय करे मेरा जो भी, न्याय-अधिकारी है।
बताये विधान या वो, मुझ को निगम, ज्ञान,
किस ने कहा अधीन, नर के ये नारी है।
नारी है अधीन जैसे, नृप के अधीन प्रजा,
भूपति-करों में प्रजा, निज को क्या हारी है ?
जनता नहीं है जो ये, हारी दुखियारी तो ये,
नारी बोलो कैसे मात्र, सम्पदा तुम्हारी है।। 14।।

हार अपने को जो न, निज का भी स्वामी रहा,
रहेगा वो पत्नी का, कैसे स्वामी बन के ?
लगाया स्वयं को था, हार यदि दांव पे तो,
कैसे हारी जाऊँगी मैं, हार माने उन के ?
मानो यदि हारी गयी, तो भी कुल नारी हूँ मैं,
नेत्र हीन बनोगेक्या, रहतेनयनके ?
पांडव वधू ही नहीं, लज्जा सारी संसृति की,
देख क्या सकोगे लुटी, लज्जा के ये मनके।। 15।।