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हियै में हेत उपजायां / मोहम्मद सद्दीक

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हिये में हेत उपजायां
मिनख री जात परखीजै।
अणूतै आंखरां री भीड़ में
कद बात परखीजै।
मुळकणो मोकळो आछो
परख कोठै री होटां पर
निजर में नीम घुळतांई
पुड़त में घात परखीजै।

बिहूणै हेत रै हित आंख री
पोथी नै बांचै तो
बिलखती आस रा ओसार
ढळती रात परखीजै।

निमाणा नैण पुरसी बानगी
दो च्यार मोत्यां री
पलक रा पावणा मुळकै
ढळै जद बात परखीजै।

भरम रा भूत मिनखां री
मती नै रोज चंचेड़ै
अणूती टाकरां पण हाण-
हारयां मात परखीजै।