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बाईसा अचपळा घणा / मोहम्मद सद्दीक

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बाईसा अचपळा घणा
बाईसा बोछरड़ा घणा
बाई रा बाळ कुण बांका करै
बाई रै लखणां सूं
सगळा डरै।
बाईसा जोधजवान।
बाईसा ब्यावण सार
परणायोड़ा होता - तो होता
टाबरां री मां
पीर रो पतियारो
सासरै रो सीर
पण ओ किरयोड़ो काकड़ियो
ओ तातो ऊफणतो दूध
आ ताजी चूंटियो सी काया
आ काची कंवळी कळी
ओ कुचामदी काचो मांस
राख राख्यो है मायतां
डागळै रै ऊंचली मंडेरी माथै
कुताऊं। बिल्लाऊं। डरतां।
चील कांवळा दिन रात लू‘वै
सगै सोया में होरी है तूवै-तूवै
सुगणी मां अ‘र सायर बाप
रूखाळी राख‘र कितराक दिन राखै
मिनख पणै री पत
पोची पड़ती लागै।
इण बेलड़ी रा तांतवा
बाड़ उपराकर
बारै जावता लागै।
मां रै पेट सूं पालणै में
पालणै सूं आपरै पगां पर
बाईसा अकूरड़ी अ‘र अड़क बेल ज्यूं
दिन रात बधती जावै
बळ्यो सरीर-
कपड़ां में - अ‘र कपड़ा सरीर में
नईं समावै
बाईसा अबै हाथां न बाथां
बाईसा ढाब्या नईं ढबै।
सुणी है ऊलळयोड़ा गाडा
बिचरयोड़ा भाण्ड
अ‘र गिरता ग्याब
हथैळी लगायां कद थम्मया
कद थम्मै।
भतूळिये री चोटी सा
चढ्रयां है सिखरां
आं दिना बाईसा
नूत राखी है अणूत
समूचै गांव रै छोटै माट रा
कुत्तर लेवै कानड़ा
इयां लागै जाणै
ढोल नै डंकै री उडीक
चढ़ियोड़ै चंग नै चिमटी री।
बाईसा चालती पून सूं
कर लेवै बांथैड़ो
बाईसा बाथ्यां आवण त्यार
टांक लिया है पांयचा
बगा दिया लूगड़ा
छंटवालिया पट्टा
मुंडवा लीनी मींडी
धारण कर लिया है
मरदाना भेस
अबै बाईसा
भोळा हिरणिया
अ‘र सूदै सुशियां रो शिकार
तो दिन धोळै ही कर लेवै।
जच्चै जद चर लेवै।
म्हारी या थांरी
आपणी कांई चिकारी
बाईसा नै कुण रोकै
कुण टोकै
बिना हथियार निपट निहत्था
बाईसा आपरी
सागीड़ी
सेंजोरी
हतळ मार‘र
मार नाखै
शेरां नै सूरां नै।
बाईसा बायरै रा
घणा अणूता ही सोकीन है।
बाईसा नै जद कद जठै-कठै
अमूजो सतावै
गरमी खावण लाग जावै
बाईसा आपरै सरबती सरीर री
सगळी री सगळी
खिडक्यां खोल नाखै
अ‘र बाईसा बण जावै
जैपर रो हवामहल
इण जगते दिवलै री
जगजगाती लोय नै देख‘र
ए कुमाणस। कसमल
कमीणा। कामी फिड़कला
आपरो धरम निभाण
आपरै पतियारै री पत खातर
पांख्यां फड़फड़ाय
आप-आप रै माजनै सारू
आपरी पत रो बलिदान करण नै
नेड़ा आ लागै
पण पांख्यां खुंसाय
माजनौ मराय
भूंडियो मसळाय‘र
परा‘ मरै
इस्या फिड़कलां रो
बाईसा कांई करै
जिसी करणी पार उतरणी?
खाणो पीणो। खेलणो खाणो तो
बाईसा रो धरम है।
हंसणो-हंसाणो
उम्मर सारू ओपतो।
बाईसा रा - सरावण जोग
मिल्लण रा तरीका
ना राम राम
ना सलाम
बस मिलता पाण
हाथ मिलावणो
हाय हाय, हल्लो हल्लो
पुट्ठै पर हळत मार‘र
ईयां सी फरमावणो
‘सुणावो यार’ कांई बात है।
ओ मोरयोड़ो सूकी सिट्टी
ओ रांदयोड़ो बासी धान
आ कुत्तां लिक्की खीर
आपणै गांव री गुवाड़ री
तो कोनी लागी।
लोकलाज बिसराय
अठीनै बठीनै भागै
बाईसा गळी भूलग्या लागै।
रूपरूड़ी बाईसा री ओडकी में
थोड़ो पोदीनो हो
माथै - ऊं उतरी ओडकी रो पल्लो
उघाड़यो‘र उघाड़यो
लोग पोदीनो चूंट अ‘र
चटणी बणार चाटग्या
बाईसा रा बोरिया बिखरग्या
बाईसा अचपळा घणा
बाईसा बोछरड़ा घणा।