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अंतस ताळ तळै म्हारा मनवा / मोहम्मद सद्दीक

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अंतस ताळ तळै म्हारा मनवा
मन मिरगा मन हार मती रै
मन हार्यां थारी जुण अलूणी
जुग जुग जी मन मार मती रै।।

परबस पळमत तूं मत मत हीणा
आखर अरथ सदां सूं झींणा
माटी रो मान मिनख नै करणो
जग में जूण नै जूझत जीणा
हरख-हरावळ पग धर पूगै
निरमिस आंख नै झार मती रै
आक बटूक्या तूं पवन भखी रै
आखी उमर भख बण पूरसीज्यो
अन-जळ बांट लियो बटमारां
पत राखण मन सदियां छीज्यो
लूंठा तो लूटण री लत पाळी
धायोड़ै धींगां नै धार मती रै