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तेरह हाइकु / कोबायाशी इस्सा / सौरभ राय

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तालियाँ बजाती
माँ बच्चे को
नाच सिखाती।

धान के खेत से बहती धार
घर की ओर लौटती
मछली।

नन्ही गौरैया
चीं ! चीं ! चीं !
रोती।

कठफोड़वा –
सूर्यास्त में चमकती
लाल पत्ती।

सूर्यास्त –
मेंढ़क की आँखों में आँसू
चमकते हुए।

नींद में गाँव
पहाड़ पर
कुहरे की चादर।

तितली मण्डराती
लौटती
बुद्ध की गोद में।

किस तारे के नीचे
मेरा घर?
बताओ, शरद की हवा।

चट्टान पर कछुए का
आज सामान्य
लम्बा दिन।

नई दूब –
एक गौरैया और मैं
खेलते।

देखो दादुर
ऊँचे आसन पर
टर्राता।

माँ याद आती
जब भी मैं
देखता सागर।

पृथ्वी ओस की
ओस की पृथ्वी है
फिर भी, फिर भी।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय