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जन्म-मरण के बन्ध छुटज्या इतने काम किया कर / हरीकेश पटवारी

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जन्म-मरण के बन्ध छुटज्या इतने काम किया कर,
यज्ञ-हवन तप-दान भजन-संध्या, सुबह शाम किया कर || टेक ||

शील सब्र धारण करकै, सन्तोषी रहया कर,
चोरी-जारी बदकारी से, सो-सो कोस दूर रहया कर,
अफीम-शराब चरस-भंग पीकर, मत बेहोश रहया कर,
कंच पात्रसम शुद्धचित्त, निर्मल-निर्दोष रहया कर,
काम-क्रोध लोभ-मोह की, रोकथाम किया कर ||

मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे म्य, मजहब वार जाया कर,
बारा मास राख अन्नक्षेत्र, खुद सूक्ष्म खाया कर,
सर्दी में वस्त्र का दान, गर्मी में पो लाया कर,
चतुर्मास में कुरुक्षेत्र म्य, बस तीर्थ नहाया कर,
जगन्नाथ बद्री बिशाल, रामेश्वर धाम किया कर ||

धर्म दया सुखरतपन म्य, कुछ नाम बढ़ाया कर तू,
योगाभ्यास क्रिया का, कुछ अभ्यास किया कर तू,
गीतादि अंग योग के, पढ़ा पढ़ाया कर तू,
नेत्र मूंद पद्मासन ला, श्वास चढ़ाया कर तू,
बैठ स्वतंत्र लगा समाधि, प्रणायाम किया कर ||

हानि लाभ समान जाण, सच्चा उपदेश किया कर,
दुःख सुख शोक वियोग रंज गम, मत कर्म शेष किया कर,
क्रोध विरोध को त्याग गुजर, बनके दरवेश किया कर,
व्यर्था करै नशीहत कुछ, खूद भी हरिकेश किया कर,
ढाई हरफ का मूलमंत्र जप, राम ही राम किया कर ||