भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कर्म लिख्या फल पडै भोगणा, नही कोई तबदीर बणै / हरीकेश पटवारी

Kavita Kosh से
Sandeeap Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:10, 30 जून 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिकेश पटवारी |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कर्म लिख्या फल पडै भोगणा, नही कोई तबदीर बणै,
कर्म से राजा सेठ बादशाह, कर्म से नंग फकीर बणै || टेक ||

कर्म उतारै गद्दी पर से, कर्म से तख्त व ताज मिलै,
कर्म से बग्गी पिनस पालकी, मोटर हवाई जहाज मिलै,
कर्म चढ़े तो फौज रिसाले, भूमण्डल का राज मिलै,
कर्म उतरज्या किसे खजाने, नही पेट भर अनाज मिलै,
भाग्यवान के सदावर्त मै, हलवा पूरी खीर बणै ||

कर्म से मूर्ख कर्म से ज्ञानी, कर्म से कायर शूरा हो,
कर्म से डाकू जालसाज, बदमाश चोर ठग पूरा हो,
कर्म से भोगी कर्म से रोगी, कर्म से कबरा कूरा हो,
कर्म से सोहणा कर्म से भुण्डा, कर्म से काला भूरा हो,
कर्म से निर्बल कर्म से योद्धा, बलि पिगम्बर पीर बणै ||

कर्म से हजूर सरीफ कर्म से, बैली लड्डू खाणा हो,
कर्म से लंगड़ा लुल्ला, गूँगा अंधा काणा हो,
कर्म से दुखिया कर्म से सुखिया, कर्म से पागल स्याणा हो,
कर्म से ओढे शाल दुशाले, कर्म से भगवां बाणा हो,
बिना कर्म ना बणै सिपाही, कर्म से बड़ा बजीर बणै ||

कर्मरेख की चाल नही, समझी मूढ़ ग्वार तनै,
झोक्या भाड़ रहा दिल्ली म्य, ढोई मुफ्त बिगार तनै,
कर्तव्यं सो भोक्तव्यं, न्यू बतलाते छः च्यार तनै,
जिसे कर्म तू करे उसा, हरिकेश मिल्या पटवार तनै,
पहले कर्म लिख्या जा मूर्ख, पीछे तेरा शरीर बणै ||