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ग़म को खुशियों की सौगातें / ज्योत्स्ना शर्मा

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दिल के इस तनहा कमरे में ,
याद उतरती लम्हा-लम्हा ।

शाम सुनहरी हुई मिलन की,
बात उतरती लम्हा-लम्हा ।

ग़म को खुशियों की सौगातें ,
साथ उतरती लम्हा-लम्हा ।

जश्न जीत का चले मुसलसल ,
मात उतरती लम्हा-लम्हा ।