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खेलबै होरिया / मनोज कुमार ‘राही’
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बहे जबजब रामा,
बसंती बयरवा,
मनवां में उठै रामा,
हाय ! कैसनकैसन हिलोरवाँ
सास मोरा गइली छै,
आपन नैहरवा,
ससुर मोरा बैठल रहै छै,
हरदम औसरवा
मुँहों नाहीं चुप रखेॅ,
गोदी के बुतरवा,
ओकरा पे कनखै हरदम,
हमरो छोटका देवरवा
दिलोॅ के बात हो पिया,
तोरिा कैसें बतैइबौं
घरोॅ नाहीं टेलीफोन छौं,
आरोॅ नै मोबइलवा,
चिट्ठिया मिलतैह अइहोॅ,
आबी गेलै फगुवा,
लौटी के आइबोॅ करलै,
गबरू, यदू आरो रजुवा
लेनेॅ अइहोॅ हमरा खातिर
चुड़ी, सिनुर आरो सतरंगी चोलिया,
तोहरे संग जोराजोरी करी
खेलबै हाय हम्में होरिया।