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म्हैं तो पाणीं रा आखर हां मिट जासां / लक्ष्मीनारायण रंगा

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म्है तो पाणीं रा आखर हां मिट जासां
म्है तो बाळू री लै‘रां हां मिट जासां

अकास गरीबी री अगन सूं जळतो पानों
दुख-बादळ रा दसखत हां मिट जासां

खेजड़ी री सांगरी ज्यूं चुटै आ जिन्दगी
सांसां रा सूखा खोखा हां खिर जासां

जीवण रै जंगळ भटकै तिरसा मिरगला
आसा-दरपण रा चै‘रां हां मिट जासां

बिन रोटी रै तवै दांई जळ री जिन्दगी
भूखी भींतां रा छापा हां मिट जासां

लू रै लपकरां दांई गुजर री आ जिन्दगी
सांसां-संतरंज रा मोहरां हां पिट जासां

तीखा कांटां सूं बिंध्यो बाग रो रूं रूं
फूलां रै लोई रा छाटां हां मिट जांसां

जन-जीवण बण्यो राजनीति री चौपड़
वोटां बिकयोड़ी गोट्यां हां पिट जासां