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फ़तहनामा / महेन्द्र भटनागर

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आतंक सियापा !
छलनी / खून-सनी
बेगुनाह लाशें,
खेतों-खलियानों में
छितरी लाशें,
सड़कों पर
बिखरी लाशें !

निरीह
माँ, पत्नी, बहनें, पुत्रियाँ,
पिता, बन्धु, मित्र, पड़ोसी —
रोके आवेग
थामे आवेश
नत मस्तक
मूक विवश !

जश्न मनाता
पूजा-घर में
सतगुरु-ईश्वर-भक्त
खु़दा-परस्त !