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दिन रा सुपना / राजेन्द्र जोशी

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छोरी रा सुपना
भोर री हवा भेळा
देखती गैरी नींद सूं पैली तांई।

उण समदर रै कनै सूं
आवती हवा
स्यात हवा नीं है
उण नाविक रो संदेसो है
छोरी रै गांव रै बिचाळै
हवा री लैर रो।

धोरां रै समदर मांय बैठी
बा छोरी खुद नै
उण नाव मांय
नाविक रै भेळी नाव चलावती
आपरै नैणां मांय
नाविक रा सुपना
फकत साफ देखै
दिन रै सुपनै मांय।