भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आत्मा अर अगन / राजेन्द्र जोशी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 24 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बळणो चावतो
फकत साठां पछै
अगनी रै भेळो
आत्मा नै ई बाळण रा
कर्या जतन
नीं बळी आत्मा।

अगन साम्हीं ऊभी हुयगी
छटपटावतो हेलो करै
आत्मा नै
नीं सुणै उणरी बात
अगन रै नेड़ै ऊभी
मुळकती बंतळ करती
बा जाणै
बाळ नीं सकै उणनै अगन।

साठां पछै रो महाजुध
करणी चावै अेकर
उण सूं उणरी आत्मा
नीं बळण देवै उणनै आत्मा।