Last modified on 24 जुलाई 2018, at 22:47

रेत (सात) / राजेन्द्र जोशी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:47, 24 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कदैई नीं थकै
आपरै दरद रो
बखाण नीं करै
सैवती रैवै
अणथाग भार
आपरी जवान छाती माथै रेत।

पी जावै
दूजां रा दुख
नीं व्हाळा खतम कर सकै
करावो चालतो रैवै रेत माथै
कपाळ-क्रिया नीं कर सकै।

कित्ती मीठी है
जहर उगावै
पण खुद ज्हैरीली नीं हुवै
बा ई इमरत उगाय देवै
हंसती-हंसती गावती रैवै
मिनख री चामचोरी रा गीत
जवानी रो रंग दिखावती
बूढी नीं हुवै रेत।